एनपीआर (नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर)। क्या है?? और इसको लागू करने की जरूरत क्यों है?
एनपीआर(नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर) एनपीआर भारत में रहने वालों या युजुअल रेजिडेंट्स का रजिस्टर हैं। जो कोई व्यक्ति भारत में रहता है उसका एनपीआर के तहत रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। और सिर्फ भारतीयों के नहीं बल्कि उनके साथ साथ जो विदेशी नागरिकों के लिए भी अनिवार्य है। एनपीआर का मकसद देश में रहने वाले लोगो के पहचान के लिए उसका डाटा तैयार करना है। पहला एनपीआर 2010 में किया गया था। फिर उसके बाद 2015 में इसको अपडेट करने का कार्य किया गया। घर घर जा कर सर्वे के जरिए अपडेट किए गए। यूजूअल रेजिडेंट्स का मतलब सिटिजनशिप रूल्स 2003 के अनुसार जो भी भारत के किसी इलाके पिछले 6 महीने से रहा है या इससे ज्यादा समय तक रहना चाहता है। वो एनपीआर के दायरे में आएगा और उसका ब्यौरा लिया जाएगा। इसके तहत आधार, मोबाइल नंबर, पैन, ड्राइविंग लाइसेंस, भारतीय पासपोर्ट, वोटर आईडी की जानकारी ली जाएगी। एनपीआर देश के लिए जरूरी क्यों है? एनपीआर का मूल उद्देश्य हर निवासी की पहचान और हर निवासी का जनसांख्यिकी की जानकारी के साथ उसका बायोमेट्रिक भी दर्ज होगा। इससे सरकारी योजना के अन्तर्गत दिया जाने वाला लाभ हर व्यक्ति तक पहुंचे। एनपीआर