आतंकवाद और इस्लाम
आज की पोस्ट लिखने से पहले मेरे मन में कई सवाल आए कि इस दुनिया में शांति से लोग क्यों नहीं रह सकते हैं। जहां आज पूरा विश्व आतंकवाद की चपेट में है अमेरिका से लेकर यूरोप तक और ये आतंकवादी और कोई नहीं मुस्लिम देशों के वो गुमराह लोग हैं जो अपने इस्लाम के लिए निर्दोष लोगो को मारते हैं। और इनकी नज़रों में जिहाद समझते हैं। अपनी हुकूमत जमाने की कोशिश करते हैं। अभी हमारे देश में 14 फरवरी को आत्मघाती हमले में हमारे 40जवान शहीद हो गए। जैश के आतंकी का वीडियो सामने आया है उसने उस वीडियो में साफ साफ तौर पर कहा है कि वो जिहाद किसी देश के या कश्मीर के लिए नहीं बल्कि वो इस्लाम के लिए कर रहा है। ये अकेला ऐसा संघठन नहीं विश्व का सबसे ख़तरनाक संघठन आईएसआईएस इस्लाम के नाम पर मासूम निर्दोष लोगो का खून बहाते हैं। वो इस्लाम परस्त लोग बताए कि कहां ऐसा इस्लाम में लिखा है और इनके दिमाग ये भी भर दिया जाता है कि अगर मारे जाओगे तो जन्नत नसीब होगा और 72 हुर्र मिलेंगे मूर्ख लोग बेकसूर लोगो को मारकर जन्नत क्या जन्नम भी नसीब नहीं होगी। आज इन जैस दहशतगर्दों की वजह आज पूरे विश्व में मुस्लिम कौम को अच्छी भावना से नहीं देखा जाता है। अपने धर्म के प्रति कट्टर रुख अपनाते हैं। और यही कट्टरता उनके लिए और उनके धर्म के लिए भी घातक साबित हो रही है। चाहे वो सीरिया हो या फिर अफगानिस्तान या फिर आतंकवाद की फैक्ट्री पाकिस्तान। देश में मुस्लिमो के प्रति अच्छा रवैया नहीं है। इसका कारण यही है कि इनकी कट्टरता और इनकी दूसरों पर थोपने वाला सोच।
इसको पढ़े और सुझाव दें ताकि कुछ और बातों पर हम चर्चा कर सकते है कैसा लगा जरूर जवाब दें।
पुलवामा में शहीद उन 40 जवानों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं अपने ब्लॉग के माध्यम से।🙏🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 जयहिंद जय भारत
भारत माता की जय
Well done
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